रक्षाबंधन पर निबंध, लेख| Raksha Bandhan Essay in Hindi

रक्षाबंधन पर निबंध, लेख (Raksha Bandhan Essay in Hindi) रक्षा बंधन मुहूर्त, रक्षा बंधन कब है? Raksha Bandhan, Raksha Bandhan kab hai? 2024 में रक्षा बंधन कब है?

रक्षाबंधन पर निबंध: पावन और पवित्र महीना सावन प्रेम के विविध रंगों से भरा हुआ महीना है। इस माह में हमें प्रेम के तीन रूपों के दर्शन होते हैं। जहां एक ओर चारों तरफ पसरी हरियाली और झमाझम बरसते काले घनघोर बादल लोगो में रति- भाव का संचार करते हैं तो वहीं दूसरी ओर भगवान शिव अपने भक्तों को भक्ति की शांत जलधारा से स्नेह -सिक्त करते हैं। प्रेम का तीसरा रूप है रक्षाबंधन।

रक्षाबंधन कब मनाया जाता है? रक्षा बंधन कब है? 2024 में रक्षा बंधन कब है?

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रक्षाबंधन पर निबंध

श्रावणी पूर्णिमा हमें रक्षाबंधन के रूप में देखने को मिलता है। इस वर्ष 19 अगस्त दिन बुधवार और बृहस्पतिवार को रक्षाबंधन मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन का त्यौहार उत्सव है,भाई-बहन के आपसी प्रेम के इजहार का। इस दिन बहन भाई की कलाई पर राखी बांधते हुए उसके मंगल की कामना करती हैं तो भाई भी हमेशा राखी की लाज रखने का संकल्प लेते हैं।

रक्षाबंधन की पौराणिक कहानियां, रक्षा बंधन क्यों मनाते हैं?

रक्षाबंधन मनाने के पीछे कई पौराणिक कहानियां प्रसिद्ध है। एक कहानी के अनुसार युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ में राजसूय यज्ञ का आयोजन किए थे। उसमें कृष्ण और शिशुपाल भी उपस्थित थे।किसी बात पर शिशुपाल कृष्ण को अपमानित करने लगा। इससे कृष्ण क्रोधित होकर अपना सुदर्शन चक्र चला दिए। इस दौरान उनकी एक उंगली कट गई। वहीं पास में खड़ी द्रौपदी तुरंत अपने साड़ी का पल्लू फाड़ कर उनकी उंगली में बांध दी। इस पर कृष्ण ने कहा कि वह इस वस्त्र के टुकड़े की लाज रखेंगे।

जब हस्तिनापुर में द्रोपदी का चीर हरण हो रहा था उस वक्त कृष्ण ने अपनी माया से द्रोपदी को अंतहीन वस्त्र देकर भरी सभा में उनकी लाज रखी थी। कहा जाता है कि जिस दिन द्रौपदी कृष्ण की ऊँगली में वस्त्र बांधी थी वह सावन मास के शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा का दिन था। कहा जाता है कि तभी से रक्षाबन्धन के इस त्योहार को मनाने का प्रचलन रहा है।

रक्षाबंधन की ऐतिहासिक कहानियां:

इसके अलावा रक्षाबंधन से जुड़ी कई ऐतिहासिक कहानियां भी सुनने को मिलती हैं। जैसे रानी कर्णावती और हुमायूं की कहानी तथा सिकंदर और राजा पूरू की कहानी । दूसरी कहानी में कहा जाता है कि राजा पूरु और सिकंदर के बीच युद्ध चल रहा था। युद्ध में एक स्थिति ऐसी आई जब सिकंदर नीचे गिर पड़ा और राजा पूरु उन्हें मारने ही वाला थे कि उनकी नजर अपनी कलाई पर बंधी राखी पर गई।

राजा पुरु ने तब सिकंदर को छोड़ दिया था। कहा जाता है कि वह राखी सिकंदर की पत्नी द्वारा भेजी गई थी। यह भी कहा जाता है कि उसके बाद सिकंदर ने राजा पूरु को बंदी बना लिया था। लेकिन उस राखी की लाज रखते हुए सिकंदर भी पूरु को मुक्त कर दिया था और साथ ही उनके राजपाट भी उन्हें वापस लौटा दिए थे।

रक्षाबंधन और इसका महत्व:

रक्षाबंधन में प्रयुक्त होने वाली राखी एक पवित्र धागा अथवा सूत्र होता है जो बहन के स्नेह का प्रतीक रूप होता है।भाई की कलाई पर बंधी राखी बहन की रक्षा करने की भाई की वचनबद्धता का प्रतीक है।

भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन के त्यौहार का विशिष्ट महत्व है। यह परस्पर आपसी सहयोग और रक्षा की भावना को संप्रेषित करता है। भारत में रक्षाबंधन का राजनीतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक महत्व है।

रक्षाबंधन से जुड़ी ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियां इस बात की गवाह हैं कि यह त्योहार सिर्फ सगे भाई-बहनों के बीच ही मनाया जाने वाला त्यौहार नहीं है, बल्कि यह मुंह-बोले भाई- बहनों का भी त्यौहार है।आज समाज के बदलते परिदृश्य में रक्षाबंधन का महत्व सिर्फ भाई-बहनों के बीच सीमित ना होकर अपने व्यापक रूप में उभर कर सामने आया है।

आज जिन भाइयों की बहनें नहीं होती या जिन बहनों के भाई नहीं होते वे लोग आपस में एक दूसरे को रक्षासूत्र बांधकर एक दूसरे के प्रति अपनी सच्ची निष्ठा प्रदर्शित करते हैं।आज दोस्त,मां-बेटे, पिता-पुत्री आदि आपस में राखी बांध यह त्यौहार मनाते हैं। इस प्रकार इस त्योहार का दायरा बढ़ जाने से इसका महत्व भी कई गुना बढ़ जाता है।

रक्षाबंधन का सामाजिक समरसता बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान होता है। समाज में अलग-अलग जाति धर्म के लोग जब एक दूसरे को रक्षा सूत्र बाँधते हैं तो समाज की एकता और अखंडता और सुदृढ़ हो जाती है। इससे बंधुत्व की भावना को बल मिलता है।

रक्षाबंधन: प्रेम के विविध रूप

आज राजनीतिक दृष्टि से भी रक्षाबंधन के महत्व को देखा जाने लगा है।देश और राज्य के उच्च पदों पर आसीन नेतागण,राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री आदि बच्चियों से राखी बंधवा कर देश की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को याद करते हैं।राखी का महत्व तब और बढ़ जाता है जब वह सीमा पर तैनात एक सैनिक की कलाई पर बांधी जाती है।

जहां एक तरफ वह रक्षा सूत्र दुश्मनों से सैनिकों की रक्षा का विश्वास जगाता है तो दूसरी तरफ वह राखी सैनिकों को देश की रक्षा के कर्तव्य बोध से भर देता है।केंद्र सरकार की ओर से भी सैनिकों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई राखियां भेजी जाती हैं। इसप्रकार राजनीतिक दिलचस्पी ने रक्षाबंधन के महत्व को कई गुना बढ़ा दिया है।

रक्षाबंधन और भारतीय अर्थव्यवस्था:

रक्षाबंधन भले ही एक दिन का त्यौहार होता है परंतु यह अपने साथ रोजगार का सुनहरा अवसर लेकर आता है। इस दिन के लिए बाजार की दुकानें पहले से ही तरह- तरह की राखियों से सजी रहती हैं।ये राखियां कुटीर उद्योगों में तैयार की जाती हैं। भले ही इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर कुछ खास प्रभाव ना पड़ता हो। लेकिन छोटे स्तर पर श्रमिक अच्छी कमाई कर स्वावलंबी बन जाते हैं।

रक्षाबन्धन के अवसर पर तरह-तरह की मिठाइयों की भी खूब बिक्री होती है। जिससे उनकी अच्छी खासी कमाई हो जाती है। इसप्रकार इन कुटीर उद्योगों से बेरोजगारी की समस्या कम तो ही है साथ ही परोक्ष रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है।

रक्षाबंधन पर आधारित फिल्में:

रक्षाबंधन को केंद्र में रखकर सबसे पहले 1941 में ‘सिकंदर’ नाम से फिल्म बनी थी।जिसमें सिकंदर की भूमिका पृथ्वीराज कपूर जैसे श्रेष्ठ अभिनेता ने निभाई थी। उसके बाद महबूब खां के निर्देशन में ‘हुमायूं’ फिल्म बनाई गई। सन 1947 और 1962 में राखी नाम से ही दो फिल्में बनी। 1972 में एस. एम. सागर ने ‘राखी और हथकड़ी’ नाम से तो 1976 ईसवी में राधाकांत शर्मा ने ‘राखी और राइफल’ नाम से फिल्में बनाई।

सन 1974 में आत्माराम के निर्देशन में बनी फिल्म ‘रेशम की डोरी’ ने लोगों को खूब प्रभावित किया। उनका दिल जीता।इस में भाई-बहन के रिश्ते को बड़ी संजीदगी से पेश किया गया था। इसमें नायक के रूप में धर्मेंद्र को लोगों ने खूब सराहा और प्यार दिया।इस फिल्म का मशहूर गीत

बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है…

को आज भी लोग बड़े प्यार से सुनते और गुनगुनाते हैं।इस तरह और भी कई ऐसी फिल्में बनी जिसमें रक्षाबंधन की झलक देखी जा सकती है जैसे:- ‘तलाश’, ‘हम साथ साथ हैं’, ‘फिजा’ आदि फिल्में।

रक्षाबंधन और ऑनलाइन दुनिया:

आज दुनिया बड़ी तेजी से बदल रही है।एक तरफ हर दिन होते नए-नए आविष्कारों ने लोगों के जीवन को आसान बना दिया है तो दूसरी तरफ इन आविष्कारों ने ही लोगों के समक्ष कई चुनौतियां उत्पन्न कर दी हैं। इसमें एक है बेरोजगारी की समस्या। नौकरी की तलाश में लोगों को अपने परिवार से दूर जाना पड़ता है। और दूर रहकर ही काम करना पड़ता है।

ऐसे में दूर रह रहे भाई को राखी पहले के जमाने में चिट्ठियों के साथ भेजा जाता था परंतु आज इंटरनेट का जमाना है और इंटरनेट की सुविधा से ऑनलाइन खरीद फरोख्त करना एक सामान्य बात हो गई है। आज राखियां भी ऑनलाइन आर्डर करके भाइयों के पास भेजी जाती हैं और इसके बदले में ऑनलाइन ही बहनों के लिए गिफ्ट भी आ जाते हैं।

समग्रतःयह कहा जा सकता है कि भारतीय संस्कृति के अंग विभिन्न पर्व त्योहार बदलते परिवेश में भी अपनी जड़ से जुड़े हुए हैं। बदलते समय के साथ आधुनिक युग में उनका रूप अवश्य बदल गया है परंतु आत्मा वही है।

Raksha Bandhan FAQ:

रक्षा बंधन 2024 शुभ मुहूर्त कब है?

2024 में रक्षा बंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा।

रक्षा बंधन कब मनाई जाती है?

भारत में प्रति वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाया जाता है। इस वर्ष 19 अगस्त दिन बुधवार और बृहस्पतिवार को रक्षाबंधन मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन का त्यौहार उत्सव है,भाई-बहन के आपसी प्रेम के इजहार का। इस दिन बहन भाई की कलाई पर राखी बांधते हुए उसके मंगल की कामना करती हैं तो भाई भी हमेशा राखी की लाज रखने का संकल्प लेते हैं।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार भारत में रक्षा बंधन कब मनाया जाता है?

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भारत में प्रति वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाया जाता है। इस वर्ष 30 और 31 अगस्त दिन बुधवार और बृहस्पतिवार को रक्षाबंधन मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन का त्यौहार उत्सव है,भाई-बहन के आपसी प्रेम के इजहार का। इस दिन बहन भाई की कलाई पर राखी बांधते हुए उसके मंगल की कामना करती हैं तो भाई भी हमेशा राखी की लाज रखने का संकल्प लेते हैं।

रक्षाबंधन का निबंध कैसे लिखा जाता है?

रक्षाबंधन का लेख लिखने के लिए सबसे पहले आप इस पर्व के बारे में आम जानकारी लिखें जिससे किसी को भी पता चले कि किस धर्म के लोग कब, किस तरह से, किस उद्देश्य और भावना के साथ इस पर्व को मनाते हैं और इसका महत्व क्या है। इसके बाद निबंध का मुख्य पार्ट लिखें जिसमे सभी बिंदुओं को विस्तार दें। इस पर्व की ऐतिहासिकता और पौराणिकता का उल्लेख करें। अंत में उपसंहार या कंक्लूजन लिखें।

रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व क्या है?

रक्षाबंधन मनाने के पीछे कई ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियां प्रसिद्ध है। एक कहानी के अनुसार जब शिशुपाल ने भगवान का अपमान किया था तो उस समय भगवान ने सुदर्शन चला कर शिशुपाल को दंड दिया था। इस क्रम में भगवान कृष्ण की उंगली से खून निकल गया था तो द्रौपदी ने अपने साड़ी को फाड़ कर कृष्ण की उंगली में बांध दी। जब हस्तिनापुर में द्रोपदी का चीरहरण हो रहा था तब कृष्ण ने अंतहीन वस्त्र प्रदान कर लाज रखी थी ।
इसके अलावा और अनेक ऐतिहासिक कहानियां भी हैं जैसे रानी कर्णावती और हुमायूं की कहानी तथा सिकंदर और राजा पूरू की कहानी।

रक्षाबंधन की शुरुआत कब से हुई है?

रक्षाबंधन की शुरुआत महाभारत काल से ही देखी जा रही है। जब कृष्ण ने द्रोपदी के चीरहरण के समय रखी की लाज रखते हुए अंतहीन वस्त्र प्रदान किया।

राखी की शुरुआत कैसे हुई?

रखी को रक्षा भी कहते हैं। रक्षाबंधन का त्योहार भाई बहन के प्रेम और एक दूसरे की रक्षा के लिए समर्पण का प्रतीक है। पुराने समय में जब भाई युद्ध क्षेत्र में लड़ाई लड़ने जाता था तो बहनें अपने भाई की रक्षा के लिए भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती थी। अपने बहन की इस प्रेम के लिए भाई भी बहन की मुसीबत में सुरक्षा का वादा करते थे। इसप्राकार यह पर्व भाई बहन के प्रेम के प्रतीक के रूप में प्रचलित हुआ।

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