Dhanteras Puja: Benefits, What to buy| धनतेरस पूजा के लाभ, क्या खरीदें

Dhanteras Puja: Benefits, What to buy| धनतेरस पूजा के लाभ, क्या खरीदें, धनतेरस शुभ मुहूर्त, धनतेरस 2024 पूजन मुहूर्त, प्रदोष काल, धनतेरस 2024 खरीददारी मुहूर्त, धनतेरस पूजन विधि, धनतेरस पर दीप दान का महत्व, धनतेरस पौराणिक कथा।

धनतेरस हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में सम्पूर्ण देश में मनाया जाता है। इस दिन सभी हिंदू भगवान कुबेर, भगवान धन्वंतरि और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। ऐसे मान्यता है कि इस पूजा से घर में धन दौलत और समृद्धि आती है। लोग अपने घर में दीप जलाकर भगवान की पूजा करते हैं।

धनतेरस’ शब्द दो शब्दों से बना है। धन, जिसका अर्थ है संपत्ति और तेरस,  जिसका अर्थ है चंद्र पखवाड़े का 13वाँ दिन। चाहे सोना खरीदना हो या नया काम शुरू करना हो, धनतेरस को नई शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है।

धनतेरस के दिन, लोग मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं। इस दिन लोग अपने लिए धन, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्ध भविष्य के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं। इस दिन को सोना, चांदी या नए बर्तन जैसी नई चीजें खरीदने के लिए शुभ माना जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, धनतेरस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। 2024 में धनतेरस धनत्रयोदशी के दिन यानी 29 अक्टूबर, मंगलवार को है। इस दिन नए बर्तन, सोना चांदी के आभूषण खरीदना भी शुभ माना जाता है।

धनतेरस पूजा शुभ मुहूर्त (Dhanteras Puja: Shubh Muhurt)

इस साल कार्तिक त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्तूबर को सुबह 10:31 मिनट पर होगी। वहीं इस तिथि का समापन 30 अक्तूबर को दोपहर 01:15 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 29 अक्तूबर 2024 को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा।

धनतेरस पूजन विधि (Dhanteras Pujan Vidhi)

धनतेरस पर शाम के वक्त उत्तर की ओर कुबेर और धनवंतरी की स्थापना करनी चाहिए। दोनों के सामने एक-एक मुख का घी का दीपक जरूर जलाना चाहिए। भगवान कुबेर को सफेद मिठाई और धनवंतरी को पीली मिठाई को भोग लगाया जाता है. पूजा के दौरान “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” का जाप करें. इसके बाद “धनवंतरि स्तोत्र” का पाठ करें. पूजा के बाद दीपावली पर कुबेर को धन स्थान पर और धनवंतरी को पूजा स्थान पर स्थापित करें।”

धनतेरस पर दीपदान का महत्व

धनतेरस के दिन दीपदान किया जाता है। कहते हैं कि धनतेरस के दिन जिस घर में यमराज के लिए दीपदान किया जाता है वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है। धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार पर 13 और 13 ही दीप घर के अंदर जलाने चाहिए। इस दिन मुख्य दीपक रात को सोते समय जलाया जाता है। इस दीपक को जलाने के लिए पुराने दीपक का उपयोग किया जाता है। यह दीपक घर के बाहर दक्षिण की तरफ मुख करके जलाना चाहिए। दरअसल, दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि घर में दीया घूमाने से इस दिन सारी नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है।

धनतेरस पौराणिक कथा (Dhanteras Katha)

एक पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र मंथन से धन्वंतरि प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वंतरि कलश लेकर प्रकट हुए थे. कहते हैं कि तभी से धनतेरस मनाया जाने लगा. धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की भी परंपरा है। माना जाता है कि इससे सौभाग्य, वैभव और स्वास्थ्य लाभ होता है। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

अन्य पढ़ें:

Leave a comment