Karpuri Thakur Biography in Hindi, Birth, Family, Son, Father, Caste, Education, Freedom Fighter, Political Career, Bihar CM, Bharat Ratn Award, Latest News, कर्पूरी ठाकुर का जीवन परिचय: जन्म, परिवार, पुत्र, पिता, जाति, शिक्षा, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिक कैरियर, बिहार के मुख्यमंत्री, भारत रत्न सम्मान, ताजा खबर।
देश के स्वतंत्रता सेनानी, समाजवाद के अनुयानी, बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्व. कर्पूरी ठाकुर को उनके जन्म शताब्दी की पूर्व संध्या पर मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में की गई है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने एक्स पर कर्पूरी ठाकुर जी के बारे में लिखा, “मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने सामाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है।”
उन्होंने लिखा कि पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी ठाकुर की अटूट प्रतिबद्धता और दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है।
बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष समारोह में बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करने की प्रधानमंत्री से मांग की थी।
देर ही सही लेकिन अब बिहार की जनता को यह खबर सुकून दे रही होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी सरकार को इस कदम के लिए आभार व्यक्त किया है।
इस लेख में हम कर्पूरी ठाकुर की जीवन परिचय (Karpuri Thakur Biography in Hindi) को जानेंगे। उन्होंने देश की स्वाधीनता संग्राम में कैसे भाग लिया और लोग इन्हें जननायक क्यों कहते हैं, इसके बारे में हम बात करेंगे।
Karpuri Thakur Biography in Hindi, कर्पूरी ठाकुर का जीवन परिचय संक्षेप में
Table of Contents
बिहार के जननायक कर्पूरी ठाकुर, जिन्होंने दो बार बिहार के मुख्यमंत्री का पद संभाला, उनकी पहचान एक स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक और प्रतिष्ठित राजनीतिज्ञ के रूप में रही है। वे बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री भी रहे थे। लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें ‘जन-नायक’ के रूप में ख्याति प्राप्त है। उनके जीवन और कार्यों का सम्मान करते हुए, देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित जा रहा है जो गौरव की बात है। तो आइए अब हम कर्पूरी ठाकुर की जीवन परिचय (Karpuri Thakur Biography in Hindi) को जानें
पूरा नाम | कर्पूरी ठाकुर |
जन्म तिथि और स्थान | 24 जनवरी 1924, पितौंझिया, समस्तीपुर, बिहार |
निधन | 17 फरवरी 1988 |
राजनीतिक दल | जनता पार्टी, समाजवादी विचारधारा |
मुख्यमंत्री कार्यकाल | 1970 और 1977 के बीच दो बार बिहार के मुख्यमंत्री |
विधायक कार्यकाल | 1952 से आजीवन किसी न किसी सदन के सदस्य रहे |
पेशा | स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ |
सामाजिक कार्य | सामाजिक न्याय, पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के हित में कार्य |
लोकप्रियता | ‘जननायक’ के नाम से प्रसिद्ध, बिहार की राजनीति में गहरा प्रभाव |
भारत रत्न | भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा |
राजनीतिक विरासत | लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार उनके शिष्य माने जाते हैं। |
व्यक्तिगत जीवन और विचारधारा | अत्यंत सादगी भरा जीवन, कांग्रेस विरोधी राजनीति, परिवारवाद के विरोधी, ईमानदारी और सज्जनता में विश्वास |
कर्पूरी ठाकुर का जन्म [Karpuri Thakur Birth]
कर्पूरी ठाकुर का जन्म [Karpuri Thakur Birth] बिहार राज्य के समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में 24 जनवरी 1924, को एक नाई परिवार में हुआ था।
कर्पूरी ठाकुर का परिवार [Karpuri Thakur Family]
नाम | कर्पूरी ठाकुर |
पिता | श्री गोकुल ठाकुर |
माता | श्रीमती रामदुलारी |
पुत्र | रामनाथ ठाकुर |
कर्पूरी ठाकुर का परिवार [Karpuri Thakur Family] बिहार के समस्तीपुर जिले का एक सामान्य परिवार था। उनके पिता का नाम श्री गोकुल ठाकुर और माता का नाम श्रीमती रामदुलारी था। गोकुल जी गांव के एक सामान्य किसान थे। बाल काटना इनके परिवार का पारंपरिक काम था। इनके पुत्र का नाम रामनाथ ठाकुर है। ये एक राजनेता हैं। वर्तमान में जनता दल यूनाइटेड की तरफ से राज्यसभा में बिहार का प्रतिनिधित्व करते हैं।
उनका पारिवारिक जीवन हमेशा आर्थिक अभाव और तंगी में ही बीता। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने अपना घर नहीं बनवाया। घर की हालत ठीक नहीं थी बैठने की भी जगह नहीं थी। लेकिन अपने दायित्वों का निर्वहन ही करते रहे और अपने परिवार के लिए कुछ भी नहीं किया।
धन के अभाव में वे हमेशा चंदा मांग कर चुनाव लड़ते थे। चवन्नी, अठन्नी मांग मांग कर चुनाव लड़ते थे। सारे पैसे का हिसाब खुद रखते थे। चंदे के पैसे से कभी अपना निजी या पारिवारिक काम नहीं करते थे। वे आजीवन सच्चाई, सादगी, ईमानदारी, और समाज सेवा और अपने सिद्धांतों के प्रति समर्पित रहे।
कर्पूरी ठाकुर की शिक्षा [Karpuri Thakur Education]
कर्पूरी ठाकुर की शिक्षा [Karpuri Thakur Education] तो सामान्य ही थी लेकीन इनका जीवन अपने आप में शिक्षा के प्रेरणाश्रोत है। कर्पूरी ठाकुर ने 1940 में पटना विश्वविद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा द्वितीय श्रेणी से पास की थी। कर्पूरी ठाकुर एक ओजस्वी वक्ता थे। इनके भाषणों में गरीबों, शोषितों, वंचितों की आवाज और दर्द भरी रहती थी। वंचितों की हक के लिए आजीवन पैरवी करते रहे।
कर्पूरी ठाकुर का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान [Karpuri Thakur: Role in Freedom Struggle]
कर्पूरी ठाकुर का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान [Karpuri Thakur: Role in Freedom Struggle] उनकी महानता और देशप्रेम की भावना को दर्शाता है। वे एक महान देशभक्त और स्वतंत्रता सेनानी थे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में जब देश अपनी स्वाधीनता के लिए संघर्ष था उस समय उन्होंने भी अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में कूद पड़े। उन्हें अंग्रेजी सरकार की यातना भी झेलनी पड़ी। आंदोलन में शामिल होने के कारण उन्हें 26 माह तक जेल में सजा काटनी पड़ी। इसके बाद 1945 में वे जेल से बाहर आए। उसके बाद उन्होंने समाजवादी विचारधारा के साथ सक्रिय राजनीति में लगे रहे।
कर्पूरी ठाकुर का राजनीतिक जीवन [Karpuri Thakur: Political Life]
कर्पूरी ठाकुर का राजनीतिक जीवन [Karpuri Thakur: Political Life] सेवाभाव, समर्पण और देश के लिए पूर्णतः समर्पित था। भारत छोड़ो आन्दोलन से ही देश की राजनीति में इन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया। आजादी के बाद 1948 में आचार्य नरेंद्रदेव एवं जयप्रकाश नारायण के समाजवादी दल में प्रादेशिक मंत्री बने। 1967 के आम चुनाव में कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी एक बड़ी ताकत बनकर उभरी। 1970 में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने।
1973- 77 में वे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के छात्र आंदोलन में भी उन्होंने अपना योगदान दिया। 1977 में समस्तीपुर के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से वे सांसद बने। 1980 के मध्यावधि चुनाव में कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में लोक दल बिहार विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरा और कर्पूरी ठाकुर नेता बने।
1967 में जब कर्पूरी ठाकुर पहली बार बिहार के उपमुख्यमंत्री बने तब उन्होंने मैट्रिक परीक्षा पास करने के लिए अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म कर दी। उनके इस निर्णय से बिहार की बेटियां भी अधिक संख्या में मैट्रिक के बाद की पढ़ाई कर पाती थी। क्योंकि निर्णय से पहले अधिकतर लड़कियां अंग्रेजी में अनुतीर्ण होने की वजह से मैट्रिक फेल हो जाती थी और आगे की पढ़ाई नहीं कर पाती थी। इस प्रकार उन्होंने शिक्षा को आम लोगों तक पहुंचाया।
FAQ:
कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री कब बने?
कर्पूरी ठाकुर 1977 में मुख्यमंत्री बने थे।
कर्पूरी ठाकुर किस कास्ट (जाति) के थे?
कर्पूरी ठाकुर नाई कास्ट के थे।
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न क्यों मिल रहा है?
कर्पूरी ठाकुर एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, बिहार के मुख्यमंत्री और समाजवाद के अनुयाई रहे हैं। अपने लाचारी अभाव को भूलकर वे सदा आम जनता के लिए समर्पित रहते थे। लोगों में ये काफी लोकप्रिय थे। लोग इन्हें जननायक के नाम से पुकारते थे। बिहार और देश की सेवा और राजनीति में इनके अमूल्य योगदान के लिए इन्हें भारत रत्न दिया जा रहा है।
कर्पूरी ठाकुर का जन्म कब और कहां हुआ था?
कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924, बिहार के समस्तीपुर जिले के पीतौंझिया में हुआ था।
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